ऋषि पंचमी
ऋषि पंचमी एक हिन्दू पर्व है जो भारत में मनाया जाता है, और यह विशेषकर महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से नेपाल और उत्तर भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है। इस साल ऋषि पंचमी बुधवार, 20 सितंबर 2023 के दिन मनाई जाएगी,यानी की आज
मूल उद्देश्य - रिषि पंचमी के मूल उद्देश्य महिलाएं रिषियों के आदर्शों का पालन करने के लिए जीवन में सामंजस्य और पवित्रता बनाना है। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और विशेष रूप से उन्हें अपने हाथों के साथ पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद, वे रिषियों की मूर्तियों की पूजा करती हैं और उनके आदर्शों का पालन करती हैं।
रिषि पंचमी के दिन यह भी माना जाता है कि ग्रहण योग्य कार्यों को नहीं किया जाना चाहिए, जैसे कि शादी, गृह प्रवेश, यज्ञ, आदि। इस दिन को बच्चों की शिक्षा के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।इस पर्व का महत्व उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में थोड़ी भिन्नता हो सकता है, लेकिन यह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है जब वे अपने समाजिक और धार्मिक कर्तव्यों का पालन करती हैं।
पूजा करने की प्रमुख विधि
इस दिव्य दिन पर, पास की पवित्र नदी में पवित्र करना बहुत महत्वपूर्ण है।
- नदी में स्नान करने के बाद सप्त – ऋषि की प्रतिमाओं को पंचामृत चढ़ाना चाहिए।
- इसके बाद उन पर चंदन और सिंदूर का तिलक लगाएं।
- फूल, मिठाई, खाद्य पदार्थ, सुगंधित धूप, दीपक आदि सप्तऋषियों को अर्पित करें।
- मंत्र जाप के साथ सफेद वस्त्र यज्ञोपवीतों और नैवेद्य धारण कर उनकी पूजा करें।
ऋषि पंचमी व्रत के दौरान इन सप्त – ऋषियों की पूरी पवित्र प्रथाओं के साथ पूजा करके लोककथाओं को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है।
ऋषि पंचमी व्रत कथा
एक बार एक राज्य में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। इनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी थी। ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक अच्छे और प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में किया। लेकिन जैसे – जैसे समय बीतता गया, लड़की के पति की अकाल मृत्यु हो जाती है और वह विधवा हो गई, और इस कारण अपके पिता के घर लौट गई। ठीक बीच में लड़की के पूरे शरीर पर कीड़े लग गए। उसके संक्रमित शरीर को देखने के बाद, वे दु:ख से व्यथित हो गए और अपनी बेटी को उत्तक ऋषि के पास यह जानने के लिए लेकर गए कि उनकी बेटी को क्या हुआ है।
उत्तक ऋषि ने उन्हें बताया कि कैसे उसने फिर से एक मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म कैसे लिया। उन्होंने कन्या को पिछले जीवन के बारे में सब कुछ बताया। ऋषि ने अपने माता – पिता को लड़की के पहले जन्म के विवरण के बारे में बताया। और कहा कि कन्या पिछले जन्म में मनुष्य थी। उन्होंने आगे कहा रजस्वला – महावारी होने के बाद भी उसने घर के बर्तन आदि को छुआ था जिसके कारण उसे इन सभी पीड़ाओं का सामना करना पड़ रहा है। अनजाने में किए गए इस पाप के कारण उसके पूरे शरीर पर कीड़े पड़ गए।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार एक लड़की या महिला अपने मासिक धर्म (रजस्वला या महावारी) पर पूजा का हिस्सा नहीं बन सकती। लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे किसी भी तरह इसकी सजा भुगतनी पड़ी।
समापन
अंत में ऋषि ने निष्कर्ष निकाला कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी की पूजा करें व पूरे मन से और श्रद्धा से क्षमा मांगें। उसे अपने पापों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी। इस प्रकार व्रत और श्रद्धा रखने से उनकी पुत्री अपने पिछले पापों से मुक्त हो गई।
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Rishi Panchami
Rishi Panchami is a Hindu festival celebrated in India, and is especially important among women. This festival is celebrated on the fifth day of Shukla Paksha of Bhadrapada month. This festival is mainly celebrated in Nepal and some states of North India. This year Rishi Panchami will be celebrated on Wednesday, 20 September 2023, i.e. today
Basic Objective – The basic objective of Rishi Panchami is to create harmony and purity in the life of women to follow the ideals of Rishis. Women observe fast on this day and especially they should bathe with holy water with their hands. Thereafter, they worship the idols of the sages and follow their ideals.
On the day of Rishi Panchami, it is also believed that auspicious activities should not be performed, such as marriage, house warming, yagya, etc. This day is also considered suitable for the education of children. The importance of this festival may vary slightly in different provinces of North India, but it is an important day for women when they perform their social and religious duties. Are.
Main method of worship
On this divine day, it is very important to purify in the nearby holy river.
After bathing in the river, Panchamrit should be offered to the idols of Sapta Rishis.
After this, apply sandalwood and vermilion tilak on them.
Offer flowers, sweets, food items, fragrant incense, lamps etc. to the Saptarishis.
Along with chanting mantras, worship them by wearing white clothes, Yagyopavits and Naivedya.
It is very important to listen to the folklores during Rishi Panchami Vrat by worshiping these Sapta Rishis with complete sacred practices.
rishi panchami fast story
Once upon a time, a Brahmin named Uttak lived with his wife in a kingdom. There was a son and a daughter in his family. The Brahmin married his daughter in a good and reputed Brahmin family. But as time passed, the girl's husband died prematurely and she became a widow, and hence returned to her father's house. Right in the middle, the girl's entire body was covered with insects. After seeing her infected body, they were overcome with grief and took their daughter to Sage Uttaka to find out what had happened to their daughter.
Sage Uttaka told them how he was again reborn as a human being. He told Kanya everything about his past life. The sage informed his parents about the details of the girl's first birth. And said that the girl was a human being in her previous birth. She further said that even after menstruation, she had touched household utensils etc. due to which she is facing all these pains. Due to this sin committed unknowingly, his entire body was infested with insects.
According to ancient texts a girl or woman cannot be a part of the puja during her menstrual period (Rajaswala or Mahavari). But he did not pay attention to it and he had to suffer the punishment anyway.
ending
At last the sage concluded that if this girl worships Rishi Panchami and asks for forgiveness with all her heart and devotion. He will soon be liberated from his sins. In this way, by observing fast and devotion, his daughter was freed from her past sins.
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